गुरुवार, 14 अगस्त 2014

ऐ मेरे वतन के लोगों

ऐ मेरे वतन के लोगों, तुम खूब लगा लो नारा
ये शुभ दिन है सब का, लहरा लो तिरंगा प्यारा

पर मत भूलो सीमा पर, वीरों ने हैं प्राण गवाँए
कुछ याद उन्हें भी करलो, जो लोट के घर ना आए

ऐ मेरे वतन के लोगों, जरा आँख में भर लो पानी
जो शहीद हुए हैं उनकी, जरा याद करो कुरबानी

जब घायल हुआ हिमालय, खतरे में पडी आजादी
जब तक थी साँस लड़े वो, फिर अपनी लाश बिछा दी
संगीन पे धर पर माथा, सो गए अमर बलिदानी
जो शहीद हुए हैं उनकी, जरा याद करो कुरबानी

जब देश में थी दिवाली, वो खेल रहे थे होली
जब हम बैठे थे घरों में, वो झेल रहे थे गोली
क्या लोग थे वो दीवाने, क्या लोग थे वो अभिमानी
जो शहीद हुए हैं उनकी, जरा याद करो कुरबानी

कोई सिख कोई जाट मराठा, कोई गुरखा कोई मदरासी
सरहद पर मरने वाला, हर वीर था भारतवासी
जो खून गिरा पर्वत पर, वो खून था हिंदुस्तानी
जो शहीद हुए हैं उनकी, जरा याद करो कुरबानी

थी खून से लथ-पथ काया, फिर भी बंदूक उठाके
दस-दसको एक ने मारा, फिर गिर गए होश गवाँ के
जब अंत समय आया तो, कह गए की अब मरते हैं
खुश रहना देश के प्यारों, अब हम तो सफर करते हैं

थे धन्य जवान वो अपने, थे धन्य वो उनकी जवानी
जो शहीद हुए हैं उनकी, जरा याद करो कुरबानी
जय हिन्द, जय हिन्द की सेना
जय हिन्द, जय हिन्द, जय हिन्द

1 टिप्पणी: